Sunday, 22 April 2018

****शिक्षा के व्यापार****

लोक लुभाते मतवाले
जीवन के कुछ तार देखे ၊
रंगों के भीतर,
उभरते रंग हजार देखे
जगजीत जीवन की
किलकते कुलहार देखे ၊
पर्णकुटी अटपट,
तारनहार देखे
शिक्षक शिक्षण के बढते
व्यापार देखे
चिर उनींदी आँखों मे तिरते
स्वप्न हजार देखे ၊
मेेवा में सेेवा के बढते,
फलसार देखे
सूझ बूझ के अबूझ पर
उतरते शीश बार बार देखे ၊
कुलभूषण को
धूप दीप नैवेद्य से,
चढ़ते प्रसाद देखे
गुरु शिष्य के मध्य
वेतन के व्यवहार देखे
समय समय के अक्सर
खेत खलिहान देखे
ठेके के बढते सम्बन्धों बीच
शिक्षण बीमार देखे ၊
देश के कर्णधारों को
डूबते बीच मझधार देखे ।
शिक्षा के गिरते स्तर में
शिक्षक के व्यवहार देखे ।

No comments:

Post a Comment